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Uttarakhand: महिलाओं के शादी की उम्र 18 से 21 करने पर किस पार्टी की क्या है राय? पढ़ें रिपोर्ट  

• LAST UPDATED : November 13, 2023

इंडिया न्यूज़ (इंडिया न्यूज़), Uttarakhand: उत्तराखंड (उत्तराखंड) की धामी सरकार (धामी सरकार) जल्द ही यूसीसी (यूसीसी) समिति के विकास के आधार पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा करने की बात कर सकती है। इसके साथ ही विधानसभा का एक विशेष सत्र रिकॉर्ड इस पर चर्चा की जा सकती है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (रंजना प्रकाश देसाई) की बानी पांचवाशराबा समिति की ओर से अपनी रिपोर्ट जल्द ही सरकार को पेश की जाएगी। इससे पहले सभी यूनिवर्सल का नेचर का इस पर आना शुरू हो गया है।

इस संस्था से मिली जानकारी के बिल का व्यापक फोकस विवाह पंजीकरण, तलाक, संपत्ति का अधिकार, अंतर-राज्य संपत्ति का अधिकार, बंधक, बच्चों के फैसले जैसे व्यक्तिगत भवनों में एकरूपता पर है।

समिति की सिफ़ारिश में कहा गया है कि महिलाओं के लिए शादी की उम्र 18 साल होनी चाहिए और इसे 21 साल करने के लिए कोई सुझाव नहीं दिया गया है। हालांकि सबसे बड़ी चर्चा महिलाओं की उम्र 18 साल से लेकर 21 साल करने को लेकर है।

किस पार्टी का क्या है रुख?

2020 में स्वतंत्रता दिवस के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार भारत में महिलाओं की शादी की सही उम्र पर मुहर लगाएगी और तय करेगी। इसके बाद, दिसंबर 2020 में जया आबादी की रिपब्लिकन पार्टी की केंद्रीय कार्य बल द्वारा नीति आयोग को मंजूरी दे दी गई, महिला केंद्रीय और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दिसंबर 2021 में समुदाय में बाल विवाह निषेध (संशोधन) ऑटोमोबाइल को पेश किया।

जिसमें महिलाओं की शादी के लिए न्यूनतम कानूनी उम्र 18 से अधिकतम 21 साल करने की मांग की गई थी।शुफ़ाई ने तर्क दिया कि यह सूक्ष्मजीवी लैंगिक समानता और न्याय के लिए महत्वपूर्ण है और बेचा भी जाता है।

कांग्रेस और अन्य आर्कियोलॉजिस्ट ने इस शोरूम को ”जल्दबाजी में शामिल होने” का विरोध करते हुए मांग की है कि इसे स्थाई समिति के पास भेजा जाए। इंस्टिट्यूशन एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि यह मूल अधिकारों का उल्लंघन है और व्यक्तिगत इमारतों को प्रभावित करता है।

पार्टी कांग्रेस ने कहा कि…

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘हम सरकार को सुझाव देना चाहते हैं कि अगर आप भी कुछ करते हैं तो आपके लिए गलत होने की संभावना है।’ पूरे भारत में इस मुद्दे पर बहुत बहस हो रही है और इस सरकार ने ना तो राज्यों से सलाह ली है और ना ही हितधारकों से बात की है। हमारी मांग है कि यह बिल तुरंत स्थायी समिति के पास भेजा जाए।

इमाम ने क्या कहा?

एआईएमआईएम मिनियन असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 19 के मूल अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ”यह एक प्रतिगामी संशोधन है।

यह अनुच्छेद 19 स्वतंत्रता के अधिकार के विरुद्ध है। 18 साल की लड़की का प्रधानमंत्री चुना जा सकता है, लिव-इन तलाक में रह सकती है, POCSO एक्ट के तहत यौन संबंध बनाया जा सकता है, लेकिन सरकार उन्हें शादी के अधिकार से गैर-कानूनी बना रही है।

आपने 18 साल के युवाओं के लिए क्या किया? भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी सोमालिया से कम है। सर, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का 89 प्रतिशत हिस्सा अन्य विविध अभियानों में इस्तेमाल किया गया।

अन्य व्यवसायिक व्यवस्था का क्या हैरुख

इसके अलावा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि बिल “असंवैधानिक” है और एलोकेशन 25 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, “यह इस देश में व्यक्तिगत कानून और मौलिक अधिकार पर हमला है।”

गर्लफ्रेंड की सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार आक्रामक तरीकों से बिल ला रही है और किसी से भी सलाह नहीं ली जा रही है। इसी तरह के विचार से बात करते हुए आर्किटेक्ट्स मिनिमम कनिमोझी ने कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दिया जवाब

आलोचकों के जवाब में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, ‘पुरुषों और महिलाओं को विवाह का समान अधिकार देने में हमें 75 साल की देरी हो गई है। 19वीं सदी में महिलाओं की शादी की उम्र 10 साल थी। 1940 से लेकर 12-14 वर्ष तक।

1978 में 15 साल की आयु तक पहुंचने वाली महिलाओं की शादी की गणना की गई थी। इस बिल के जरिए पहली बार पुरुष और महिला के अधिकार पर ध्यान देते हुए अपनी शादी का फैसला कर सकते हैं।

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