India News UP(इंडिया न्यूज़),Mathura: यूपी स्थित मथूरा जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन विवाद मामले में मुकदमा की पोषणीयता को लेकर चल रही सुनवाई बुधवार को पूरी हुई थी। इसके बाद इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 19 मार्च को अगली सुनवाई होगी। यह सुनवाई शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की याचिका पर होगी।
बुधवार को हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील तसनीम अहमद ने जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में डाली ले रखी थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने अदालत के सामने मुकदमे की पोषणीयता से जुड़े चार दलीलों को पेश किया था। मुस्लिम पक्ष ने मथुरा मामले पर दाखिल किए गए मुकदमे को 1991 के प्लेस आफ वरशिप एक्ट से बाधित बताया गया। यह दलील दी गई की प्लेस आफ वरशिप एक्ट से संबंधित होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकती।
दूसरी दलील लिमिटेशन एक्ट पर रखी गई। जिसमें कहा गया की मंदिर पक्ष और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 1968 में हुए समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत शाही ईदगाह मस्जिद को 13.37 एकड़ जमीन मिली हुई हुई है। समझौते के डिक्री भी 1973 में मथुरा की अदालत में हो चुकी है। जिसमे नियम कहते है कि 3 साल के अंदर ही चुनौती दी जा सकती थी। जिसके बाद अब 50 साल बाद केस करना कानूनी वैधानिकता नहीं है।
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