India News (इंडिया न्यूज)UP,UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग बांदा पर महिला चपरासी से पूर्णकालिक कर्मचारी के तौर पर काम लेने के बावजूद तय किया गया वेतन नहीं देने पर 1 लाख रूपए का जुर्माना लगाया है। महिला 45 साल तक 15 रुपये वेतन पर काम करते हुए 2016 में सेवानिवृत्त हो गई।
ALSO READ: UP News: अमरोहा से हरिद्वार गंगाजल लेने जा रहे भक्तों की बस में लगी भीषण आग, जलकर हुई खाक
उन्होंने 2 बार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें उनका हक हासिल नहीं हो सका। जिससे खफा कोर्ट ने हर्जाने समेत बकाया वेतन देने का आदेश दिया है। ये फैसला न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने बांदा जिले की भगोनिया देवी की 14 वर्ष से लंबित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
वे 1971 में बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित कन्या जूनियर हाईस्कूल में 15 रुपये सैलरी पर सेविका के रूप में काम कर रही थी। 1981 में उन्हें पूर्णकालिक चपरासी के रूप में प्रोन्नति देते हुए वेतन 165 रुपये हुआ, लेकिन उन्हें ये नहीं मिला।
जिसके खिलाफ उन्होंने 1985 में हाईकोर्ट में दरवाजा खटखटाया। जिसके लिए कोर्ट ने बेसिक शिक्षा बांदा को वेतन संबंधी मांग निस्तारित करने का आदेश दिया। बीएसए ने 165 रूपए सैलरी देने से मना कर दिया और उनकी सेवाओं और वेतन का अनुमोदन नहीं हुआ। ये नियुक्ति अनियमित है। फिर, 1966 में उनकी पूर्णकालिक सेवा समाप्त हो गई। हालांकि, वे 2016 तक काम करतीं रहीं। जिसके लिए अब कोर्ट ने पूर्णकालिक नियुक्ति की तारीख से 165 रुपये की दर से 35 साल की सेवा के लिए 69,300 रुपये भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
ALSO READ: UP Politics: मंत्री बनते ही बदले ओम प्रकाश राजभर के बोल, कहा- मेरे पास मुख्यमंत्री से कम पावर नहीं