Tuesday, July 9, 2024
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Om Prakash Rajbhar : क्या सीएम योगी से नही मिल पा रही राजभर की केमिस्ट्री, यूपी के सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म

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India News (इंडिया न्यूज़) Om Prakash Rajbhar Martand Singh, Lucknow : ओम प्रकाश राजभर एनडीए में तो शामिल हो गए है लेकिन लगता है।सीएम योगी से अभी तक दिल नही मिला पाए है। दरअसल इस चर्चा को जोर मिला एक तस्वीर से जो इन दिनों सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है।

सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश में सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें उन्हें विधानसभा सत्र से पहले डिजिटल कॉरिडोर का लोकार्पण के दौरान खड़े हुए देखा गया।

इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की किताब के विमोचन में भी राजभर एकदम किनारे खड़े दिखाई दिए। फिर क्या था इसके बाद चर्चाओं का दौर चल निकला। समजवादी पार्टी के समर्थकों ने भी इस फोटो पर खूब मजे लिए और राजभर पर तंज कसा।

अमित शाह ने किया था स्वागत

दरअसल अभी कुछ दिनों पहले ओम प्रकाश राजभर ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी इस मुलाकात की तस्वीर को ट्वीट कर राजभर का एनडीए में स्वागत किया था।

लेकिन विधानसभा की तस्वीरों को देख कर लग रहा है कि भले ही केंद्रीय नेतृत्व ने 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी और सीएम योगी के लिए कही बातों को भुला दिया हो लेकिन आदित्यनाथ उन बातों को अभी नही भूले हैं।

इतना ही नही जब ओम प्रकाश राजभर एनडीए में शामिल हुए तब यूपी के कई बड़े नेताओं ने भी राजभर का स्वागत किया और इसके लिए ट्वीट कर बधाई दी लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तकरफ से कोई ट्वीट नही आया, हालांकि राजभर ने जरूर सीएम से जाकर मुलाकात की थी।

सपा कर रही जुबानी हमला

विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान सुभासपा का गठबंधन समजवादी पार्टी के साथ था। इस दौरान चुनाव प्रचार में ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी के साथ साथ सीएम योगी पर भी खूब निशाना साधा था।

जुबानी जंग के दौरान शब्दो की मर्यादा भी तार-तार हुई थी। इसी से लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि अभी भी शायद योगी आदित्यनाथ के मन मे राजभर के प्रति टीस बाकी है। समजवादी पार्टी भी लगातार अब राजभर पर जुबानी बाण चला रही है।

समजवादी पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि कहां आये थे मंत्री बनने लेकिन एक कुर्सी भी नसीब नही हो पा रही है। दरअसल राजनीति में हर शब्द, हर घटनाक्रम, हर कदम के सियासी मायने होते हैं। यही वजह है कि अब एक तस्वीर के सहारे लोगो अपनी अपनी राय दे रहे हैं।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने फाइनल को आगे बढ़ाने की कही थी बात

हालांकि, ओम प्रकाश राजभर कहते रहे हैं कि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से मुलाकात करने के बाद वो सीएम योगी से मिले हैं। मुख्यमंत्री उनके एनडीए में शामिल होने पर काफी खुश हैं। हम उनके कहने पर ही दिल्ली गए थे।

13 जुलाई को मुख्यमंत्री ने ही हमें दिल्ली जाकर सारी बातें फाइनल करने के लिए कहा था। राजभर ये भी दावा करते रहे हैं कि “सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनसे कहा था कि दिल्ली जाकर सारी बातें फाइनल करें ताकि आगे की लड़ाई को बढ़ाया जाए।

जब हमने उनसे कहा कि सब लोग सवाल उठा रहे हैं कि आपकी ओर से कोई ट्वीट नहीं आया तो उन्होंने कहा कि हमने तो खुद ही आपको वहां भेजा था। जब गृहमंत्री अमित शाह यूपी आए थे तो हमने ही कहा था कि ओम प्रकाश राजभर जी को शामिल कर लीजिए नहीं तो बहुत मुश्किल हो जाएगा।

यूपी में राजभर समाज का क्या है समीकरण

यूपी में करीब चार फीसदी राजभर हैं। पूर्वांचल के 25 जिलों में 26 लोकसभा सीटें हैं और इनमें 18 जिलों में राजभर अच्छी संख्या में हैं। राजभर मतदाता करीब दर्जनभर लोकसभा सीटों पर जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं।

ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने 2019 के चुनाव में 19 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। सुभासपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी लेकिन आठ सीटें ऐसी थीं जहां पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी।

ये आंकड़े बताते है कि सुभासपा अकेले दम जीतने की स्थिति में नहीं है लेकिन उसका वोटबैंक अगर बीजेपी जैसी पार्टी के साथ चला जाए तो जीत की राह आसान हो सकती है। राजभर का वोटबैंक पूरी तरह से डेडिकेटेड रहा है, ऐसे में बीजेपी को लगता है कि उसके वोट में राजभर वोट भी जुड़ जाएं तो पूर्वांचल का किला फतह किया जा सकता है।

राजनीति में कुछ भी संभव

यूपी में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो चुका है। इस बार मानसून सत्र के दौरान राजभर बीजेपी के खेमे की तरफ से विपक्ष और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते नजर आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार यूपी विधानमंडल के मानसून सत्र के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार का कैबिनेट विस्तार किया जाएगा, जिसमें ओम प्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा।

हालांकि राजनीति में कुछ कहना जल्दबाजी होती जब तक कि चीजे अपने स्वरूप में ना आ जाए। लेकिन इतना तो तय है कि जब भी कोई सियासी चर्चा छिढ़ती है तो उसमें थोड़ी बहुत ही सही सच्चाई जरूर होती है। देखना होगा कि आखिर उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार आखिर कब होता है और उसमें ओपी राजभर को क्या जिम्मेदारी मिलती है।

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