India News (इंडिया न्यूज़), UP Politics: केंद्र सरकार द्वारा आगामी 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र चलने वाला है। जिसे लेकर इन दिनों विपक्ष में इसे लेकर काफी बहस देखने को मिल रही है। विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि सरकार द्वार इस विशेष सत्र का एजेंडा नहीं बताया गया है। बावजूद इसके सभी विरोधी दल इस विशेष सत्र का हिस्सा होंगे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश कहते हैं कि उनकी पार्टी इस सत्र का बहिष्कार नहीं करेगी, जिस पर सपा (SP) सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
#WATCH | On Congress leader Jairam Ramesh's statement, Samajwadi Party MP Shafiqur Rahman Barq says, "If we boycott the special session of Parliament, they will take a one-sided decision. That's why there should be a discussion in the Parliament about important issues & we will… pic.twitter.com/1ViO2j8kEg
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 7, 2023
समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ शफीकुर्रहमान कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान पर उनका समर्थन करते दिखे। डॉ शफीकुर्रहमान ने कहा “अगर हम संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार करेंगे तो वे एकतरफा फैसला लेंगे. इसलिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा होनी चाहिए और हम करेंगे.” उन मुद्दों को सामने रखें…”
इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने पार्टी की तरफ से एक अहम जानकारी देते हुए कह था कि .हमने तय किया कि हम संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार नहीं करेंगे। यह हमारे लिए जनता के मुद्दों को सामने रखने का मौका है और हर पार्टी अलग-अलग मुद्दों को सामने रखने की पूरी कोशिश करेगी। इसके साथ ही कांग्रेस नेता जयरामरमेश ने केंद्र द्वारा 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गए संसद के विशेष सत्र पर केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी के बयानों को लेकर उन पर हमला किया।
#WATCH | Congress MP Jairam Ramesh says, "…We decided that we will not boycott the special session of Parliament. It is a chance for us to put forward the issues of the public & every party will try their best to put forth different issues…" pic.twitter.com/uQQ3X8dUTg
— ANI (@ANI) September 6, 2023
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश कहते हैं कि कितना गुमराह करेंगे जोशी-जी? प्रत्येक विशेष सत्र/बैठक का एजेंडा पहले से ही पता होता था। यह सिर्फ़ मोदी सरकार ही है जो लगातार संसद का अपमान कर रही है और संसदीय परंपराओं को विकृत कर रही है।पिछली सरकारों ने — इसमें आपकी सरकार भी शामिल हैं — संविधान दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन और ऐसे अन्य अवसरों के लिए कई विशेष बैठकें बुलाई हैं।
🔹30 जून, 2017 – GST लागू करने के लिए आधी रात को सेंट्रल हॉल में एक संयुक्त विशेष सत्र।
🔹वामपंथी पार्टियों द्वारा UPA-1 सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत के लिए जुलाई 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
🔹भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 26 अगस्त, 1997 से 1 सितंबर, 1997 तक एक विशेष सत्र बुलाया गया था।
इससे पहले, ऐसे दो मौके भी थे जब लोकसभा भंग होने पर उच्च सदन की बैठक विशेष सत्र के लिए हुई थी:-
🔹अनुच्छेद 356(3) के प्रावधान के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए 3 जून 1991 से दो दिनों के लिए विशेष सत्र (158वां सत्र) आयोजित किया गया था।
🔹अनुच्छेद 356(4) के दूसरे प्रावधान के तहत तमिलनाडु और नागालैंड में राष्ट्रपति शासन के विस्तार के लिए फ़रवरी 1977 में दो दिनों के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया था।
और ये रही विशेष बैठकों की सूची:
🔹नवंबर, 2019 को पहले से चल रहे शीतकालीन सत्र के बीच संविधान की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सेंट्रल हॉल में दोपहर से पहले विशेष बैठक।
🔹9 अगस्त, 2017 – पहले से चल रहे मानसून सत्र के बीच, भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक।
🔹26 और 27 नवंबर, 2015 – संविधान दिवस मनाने के लिए विशेष बैठक।
🔹13 मई 2012 – पहले से जारी बजट सत्र के दौरान राज्यसभा और लोकसभा की पहली बैठक की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक।
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