India News (इंडिया न्यूज़), Krishna Janmashtami: भगवान कृष्ण और प्रभु राम के व्यक्तित्व और चरित्र को लेकर कहा जाता है कि भगवान राम हमें मर्यादा में रहना सीखाते हैं और श्री कृष्ण हमें मर्यादा में रहकर जीवन जीना सीखाते हैं। आज के आधानुक युग में श्री कृष्णा के जीवन से हम कुछ ऐसे सरल गुणों को सीख सकते है, जिससे हमारा जीवन आनंद और उत्साह के साथ कटेगा और बिना किसी बात की चिंता के हम अपने लक्ष्यों की प्राप्त कर सकेंगे।
इससे पहले आपको बता दें कि श्री कृष्णा ने ‘भगवत गीता ज्ञान’ आर्जून के सामने रखते हुए, एक मनुष्य के अंदर होने वाले कई खास गुण की जानकारी विस्तार से बताई है। लेकिन ये गुण मनुष्य के योगी, गृहस्त और परिवारिक जीवन के अलग-अलग पहलुओं के लिए विभिन्न- विभिन्न हैं। वहीं इससे अलग श्री कृष्णा जीवन से हम कुछ खास चीजें हैं जिसे आसानी से अपने जीवन में जोड़ा जा सकता है। आईयें जानते हैं इन खास गुणों के बारे में….
श्री कृष्ण वैसे तो खुद भगवान थे, लेकिन मनुष्य रुप धारण करने के बाद वो भी विकट-विकट परिस्थिति में फसें रहें। इस दौरान भी वो शांत भाव रहे और हर परिस्थित में जीत दर्ज की। जैसे कृष्णा को बाँसुरी से गहरा लगाव था और उन्होंने कभी भी अपनी प्रतिबद्धताओं के कारण इस्से खेलना बंद नहीं किया था। युद्ध के समय भी वो उनके साथ ही रहा करती थी।
कई बार हम विपरीत परिस्थिति से घबरा जाता है और बोखलाहट में गलत कदम उठा लेता है। अगर आपके साथ ऐसा होता है तो श्रीकृष्ण से प्रेरणा लें। वो खुद को परिस्थिति के हिसाब से ढालना बखूबी जानते थे। हर वक्त आंनद और सकारात्मा के साथ हर उस परिस्थिति में ढ़ल जाया करते और मुस्कुराते रहेते थे।
कृष्ण आपने मित्र सुदामा से बहुत प्रेम किया करते थे। जब भी सुदामा को कृष्णा की अवश्यकता होती, तभी कृष्ण मदद करने पहुंच जाते। इसी तरह महाभारत के दौरान वन में पाडंवो और द्वौपदी को जब भी किसी प्रकार का संकट हुआ तो कृष्णा हमेशा वहां उपस्थित रहते थे।
इसी तरह उस वक्त के महान राजाओं में से एक महलों में रहने वाले श्रीकृष्ण मौका आने पर अर्जुन के सारथी भी बन गए। जिस्से हमें सीख मिलती है कि जिंदगी में कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। हर काम को पूरी तत्परता से करनी चाहिए और हमेशा एकाग्र होकर लक्ष्य में मन को लगाना चाहिए।