India News(इंडिया न्यूज़), PM Modi: PM नरेंद्र मोदी एक बार फिर वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने आज शनिवार को 195 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के साथ किया है। PM Modi वाराणसी सीट से पिछले दो बार से लगातार सांसद हैं और प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ग्रहण की है। वहीं, भारतीय राजनीति के इतिहास में वाराणसी लोकसभा सीट का बेहद महत्व है।
यहां के चुनाव न सिर्फ राजनीतिक परिदृश्य बदलते हैं बल्कि देश के राजनीतिक नेताओं की प्रशंसा और प्रतिष्ठा भी बढ़ाते हैं। वाराणसी का इतिहास अपने राजनीतिक स्वाद के मामले में गौरवशाली है, जहां पारंपरिक पार्टियों और उम्मीदवारों की स्थिति लगातार बदलती रही है।
वाराणसी ने न सिर्फ चुनाव नतीजों से बल्कि आत्मसातीकरण से भी देश का राजनीतिक मानचित्र बदल दिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में वहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत ने न केवल उन्हें वाराणसी का निवासी बना दिया, बल्कि देश के राजनीतिक विमर्श को चुनौतीपूर्ण तरीके से विस्तारित भी किया। लेकिन वाराणसी सीट की प्राचीनता और इसका राजनीतिक महत्व क्या है? यहां कांग्रेस के गढ़ से बीजेपी के गढ़ तक कैसे पहुंच गई? यह जानने के लिए हमें इस सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालनी होगी।
वाराणसी लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आई। जब 1951-52 में पहला आम चुनाव हुआ, तो वाराणसी जिले में तीन लोकसभा सीटें थीं, अर्थात् बनारस पूर्व, बनारस पश्चिम और बनारस मध्य।
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