Lucknow News: Chief Minister Yogi Adityanath will interact with the beneficiaries of Kanya Sumangala Yojana, Pratibha Shukla will also be present
India News (इंडिया न्यूज़) UP News लखनऊ : दो समुदायों के स्वामित्व को ले कर चल रहे मुकदमे का आज फैसला आ सकता है। बरनावा में हिंडन-कृष्णा नदी के संगम तट पर स्तिथ करीब 100 बीघा में फैला लाक्ष्याग्रह पर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष दोनो अपना अपना हक जताते रहे है । मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उक्त टीले पर मुस्लिम समुदाय का कब्रिस्तान था और उसी जगह में बदरुदीन की दरगाह थी ।
जिस पर हिन्दू पक्ष द्वारा 1963 में यज्ञ आदि करके हिन्दू पक्ष द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था और 1977 में यहां गुरुकुल की स्थापना भी कर दी थी ।
इसी विवाद को लेकर 1970 में मुकीम खान द्वारा ब्रह्मचारी कृष्ण दत्त स्वामी के खिलाफ वाद दर्ज कराया था ।
वादी मुकीम खान की दलील थी कि उक्त भूमि खसरा नम्बर 3377 रकबा 36 बीघा ,6 बिस्वा, 8 बिसवासी कब्रिस्तान के रूप में दर्ज है तथा सुन्नी सेंट्रल बोर्ड वक्फ द्वारा पंजिकृत है । इसके एक हिस्से में 1966 में महात्मा गांधी की प्रतिमा लगा दी गयी है और कब्रो को तोड़ कर कुछ जगह पर हवन शुरू कर दिया गया है ।
इस वाद में कृष्ण दत्त स्वामी को प्रतिवादी बनाते हुए 1970 में वाद दर्ज करा दिया । 1970 से उक्त प्रकरण मुकदमे की प्रकिर्या में चल रहा है । पिछले बावन सालों में गवाही तारीखों का बाद अब ये मुकदमा जजमेंट पर आ गया है । आज इस मुकदमे की तारीख है और सम्भवतः आज अदालत अपना फैसला सुना देगी दोनो पक्षो की निगाह इस फैसले पर टिकी है ।
हिन्दू पक्ष का कहना है की उक्त टीला महाभारत कालीन है और मुगल सल्तनत के काल मे इस टीले पर स्तिथ यज्ञशाला को तोड़ दिया गया था । इसका प्रमाण ये है कि वर्तमान में जो ढांचा टीले पर खड़ा है ।
उसके ऊपरी भाग में एक कुंडा लगा है जो कि हिंदुओं के मंदिरों में घंटे को बांधने के काम आता था । इसके अतिरक्त पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले साक्ष्य भी प्रमाणित करते है कि ये महारत कालीन लाक्ष्याग्रह ही है ।
बरनावा टीले पर पुरातत्व विभाग द्वारा भी खुदाई की गई और खुदाई में मिले मृदभांड और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुरातत्व विभाग ने इस टीले को लाखा मंडप के रूप में मान्यता दी । इस टीले का कुछ हस्सा पुरातत्व के महत्व का मानते हुए संग्रहीत कर लिया ।
बरनावा का ये टीला महात्मा गांधी की स्मृतियों से भी जुड़ा है । महात्मा गांधी की अस्थियां पूरे देश के 66 संगम तटों के साथ ही बरनावा में कृष्णा-हिंडन संगम तट पर भी प्रवाहित की गई थी और यहां पर गांधी जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी ।
यहां गांधी धाम समिति का गठन कर दिया गया था वर्तमान में ये समिति ही इस मुकदमे की पैरोकारी कर रही है । इसी टीले के एक भूभाग पर महानंद संस्कृत महाविद्यालय का संचालन भी कर रही है । वर्तमान में इस महाविद्यालय में डेढ़ सौ के करीब छात्र विद्याध्ययन कर रहे है ।
बरनावा टीले के स्वामित्व को लेकर बावन साल से मुकदमा चल रहा है । जिसका निर्णय अब कभी भी आ सकता है ।
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