India News (इंडिया न्यूज़) UP News : आज तक आपने सुना होंगे शराब पिना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन उत्तर प्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आ रहा है। जिसको सुनकर आप हैरान हो जायेंगे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश और यूपी में प्लांटों में शराब डाली जा रही है, जिससे किसान पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक शराब का छिड़काव कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के प्लांटों में शराब की सप्लाई की जा रही है। पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक किसान इसी वजह से शराब का छिड़काव कर रहे हैं। फसलों की सेहत के लिए पौधों में शराब दी जा रही है। पूरब से पश्चिम तक किसान शराब में दवा मिलाकर छिड़काव कर रहे हैं। किसान कह रहे हैं कि यह देशी विधि आलू और टमाटर के खेतों की सेहत सुधारने में कारगर है।
डॉक्टरों ने क्या कहा
डॉक्टरों का कहना है कि शराब से कई तरह की बीमारियां होती हैं लेकिन किसान अपनी फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए ही शराब दे रहे हैं। आलू को झुलसा और टमाटर, मिर्च व पत्तागोभी को फंगस से बचाने के लिए शराब में घोलकर दवा का छिड़काव किया जा रहा है। इस पद्धति का प्रयोग पूर्वी से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक किया जा रहा है। किसानों के मुताबिक शराब का छिड़काव करने से फसल स्वस्थ और चमकदार हो जाती है।
पिछले एक महीने में कानपुर के बिल्हौर, रसूलाबाद, चौबेपुर इलाके में 10 हजार से ज्यादा बोतल देशी शराब बिकी। इसका उपयोग खेतों में किया जाता था। आलू किसान अतुल कुशवाह ने कहा, ‘हम शराब में जिबरेलिक और विन-ची-विन दवा मिलाकर छिड़काव करते हैं। इससे आलू झुलसने से बच जाते हैं। उत्पादन बढ़कर प्रति बीघे 10 बोरी हो जाता है। राधा निवासी किसान विनय कटियार ने कहा, ‘ये दवाएं शराब में ही ठीक से घुलती हैं। पानी में मिलाने पर यह उतना प्रभावी नहीं होता है।
किसानों का यह स्वदेशी आविष्कार पूर्व से पश्चिम तक समान रूप से लोकप्रिय है। हापुड़ से लेकर जौनपुर, मीरजापुर, बस्ती, संभल से लेकर सोनभद्र, मऊआइमा से लेकर प्रयागराज के फूलपुर तक फसलों पर शराब का छिड़काव किया जा रहा है। बस्ती में तैनात कृषि वैज्ञानिक राघवेंद्र सिंह के मुताबिक किसान झुलसने से बचने के लिए शराब का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं है।
दवा को शराब की बोतल में घोल दिया जाता है। इस घोल को 20 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। दो बार छिड़काव करने से झुलसा रोग एवं फंगस से बचाव होता है। केवल पानी में दवा मिलाने से पूरा लाभ नहीं मिलता।
आलू, टमाटर, पत्ती और फूलगोभी, लौकी और कद्दू को झुलसा, पपड़ी और कवक से बचाने के लिए।
इस संबंध में कानपुर जिला आबकारी अधिकारी प्रगल्भ लवानिया ने बताया कि सर्दियों में आलू बेल्ट की दुकानों पर शराब की बिक्री अचानक बढ़ जाती है। किसान एक बार में 20-25 क्वार्टर तक खरीदते हैं। पहले तो ऐसा लगा कि वह सर्दियों में बहुत ज्यादा शराब पी रहा होगा। बाद में उस इलाके के दुकानदारों ने बताया कि खेतों में छिड़काव हो रहा है।
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