India News (इंडिया न्यूज़),Treatment of Dead Body: सोशल मीडिया के आ जाने से इस समय हर जगह से कोई न कोई घटना सामने आती रहती है। अस्पतालों को मंदिर और डॉक्टरों को भगवान कहे जाने वाले भारत में जब अस्पतालों में भी अपराध होने लगे तो फिर इंसान कहा जायेगा। ऐसा ही कुछ मामला गोरखपुर के प्राइवेट अस्पतालों से सामने आया है। जहाँ इलाज के नाम पर मरीजों को लूटा जा रहा है। इसके साथ ही उनसे बे फिजु के पैसे लिए जा रहे है। पैसे लेने के बाद भी मरीजों का सही से इलाज नहीं किया जा रहा है।
हुआ यूं कि निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर लोगों से लूटपाट और ब्लैकमेलिंग की शिकायतों की जांच करते हुए पुलिस, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम अलग-अलग अस्पतालों में छापेमारी कर रही थी। और इस छापेमारी के दौरान उन्हें इस मुद्दे वाले अस्पताल में कुछ ऐसा दिखा जो कल्पना से भी परे था। यहां अस्पताल के आईसीयू में डॉक्टरों ने एक शव को ऑक्सीजन मास्क लगाकर छोड़ दिया था और बता रहे थे कि मरीज का इलाज चल रहा है।
जबकि मरीज की मौत छापेमारी से काफी पहले ही हो चुकी थी। छापेमारी से ठीक दो दिन पहले उनकी मौत हो गई। छापेमारी करने पहुंची पुलिस और खुद जिले के सीएमओ ने जब ये नजारा देखा तो हैरान रह गए। इसके बाद उन्होंने न सिर्फ अस्पताल के मालिक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए, बल्कि अस्पताल के कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया और अस्पताल को सील कर दिया।
दरअसल, गोरखपुर समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सालों से मेडिकल माफिया का बोलबाला है। उनकी कार्यप्रणाली बहुत सरल है। सरकारी अस्पतालों में इनके एजेंट छुपे हुए हैं। वह वार्ड बॉय, फार्मासिस्ट या डॉक्टर भी हो सकता है। परेशान लोग जैसे ही इलाज के लिए अपने मरीजों को लेकर सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं, ये एजेंट सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी की शिकायत कर उन्हें डराने की कोशिश करने लगते हैं।
इसके बाद वह खुद मददगार बनते हैं और उन्हें निजी अस्पताल में जाने की सलाह देते हैं। मरीज की जान को ध्यान में रखते हुए परिजन अब निजी अस्पताल जाना चाहते हैं। और फिर सरकारी अस्पताल में प्राइवेट एंबुलेंस बुलाकर मरीज को वहां से दूसरी जगह भेज दिया जाता है। वहीं, निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में इसके बाद मरीज के परिजनों से लूटपाट का सिलसिला शुरू हो जाता है।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लंबे समय से चल रही इस गड़बड़ी की शिकायत प्रशासन को मिल रही थी, जिसके बाद प्रशासन ने अलग-अलग निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम पर छापेमारी की और ऐसे कई मामलों का खुलासा किया। इनमें कई नर्सिंग होम और निजी अस्पताल ऐसे थे जिनका लाइसेंस किसी डॉक्टर के नाम पर था, जबकि बाकी काम फार्मासिस्ट, पैरामेडिकल स्टाफ, कंपाउंडर आदि संभालते थे।
अब देवरिया के रेवली गांव निवासी शिवबालक प्रसाद का ही मामला लीजिए। 72 वर्षीय प्रसाद की तबीयत अचानक खराब होने पर उनके बेटे उन्हें पहले देवरिया के महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए, जहां कुछ इलाज के बाद उन्हें बीआरडी गोरखपुर रेफर कर दिया गया। लेकिन इसके बाद वह मेडिकल माफिया के रैकेट में फंस गया, जिसने मरीज और उसके परिवार के सदस्यों को अलग-अलग जगहों पर घुमाने के बाद आखिरकार उसे ईशु अस्पताल में भर्ती कराया। एक ऐसा अस्पताल जहां नहीं है कोई डॉक्टर।
हुआ ये कि यहां लाए जाने के कुछ देर बाद ही शिवबालक की मौत हो गई, लेकिन सुबह से लेकर रात तक अस्पताल शिवबालक के शव का इलाज करने का नाटक करता रहा। इस बीच उसके पास से हजारों रुपये बरामद किये गये। हालांकि, इस मामले में गोरखपुर पुलिस ने 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें अस्पताल संचालक, डॉक्टर, मैनेजर, एंबुलेंस चालक समेत अन्य लोग शामिल हैं। इस मामले में आगे की जांच भी की जा रही है।
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