India News (इंडिया न्यूज़), Chandramani Shukla, Lucknow News: दिल्ली में I.N.D.I.A. गठबंधन की बुधवार को पहली समन्वय समिति की बैठक हुई। इसमें गठबंधन की पार्टियों के प्रतिनिधियों ने आगामी चुनावों की रणनीति पर चर्चा की। जिसमें सबसे अहम सीटों के बटवारे को माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में भी इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग के लिए आपसी मंथन जारी है। अंदरखाने से ऐसी जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि यहां सीट बटवारें का फार्मूला लगभग तय हो गया है। जिसमें यूपी की 80 सीटों का बटवारा सपा, कांग्रेस, रालोद और अन्य घटक दलों के बीच होना है। हालांकि, इसकी अभी कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इस बार भी अखिलेश यादव ने बड़ा दिल दिखाने का फैसला किया है।
2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 50 सीटों पर और गठबंधन के अन्य दलों के लिए 30 सीटों पर सहमति बन सकती है। साथ ही इस बार अखिलेश यादव ने गठबंधन के सहारे प्रदेश के बाहर भी पांव पसारने की योजना बनाई है जिसके तहत वो देश के अन्य राज्यों में गठबंधन के साथियों से उनके प्रभाव वाले राज्य में सीटें की मांग करेंगे।
उत्तर प्रदेश लोकसभा सीटों के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है। यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं जो देश की सियासत में बड़ी अहमियत रखती हैं। ऐसे में विपक्षी दलों के गठबंधन की नजर उत्तर प्रदेश पर है। लोकसभा सीटों के लिहाज से देखें तो यूपी में फिलहाल विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन के घटक दलों की स्थिति अच्छी नहीं है। लोकसभा में भाजपा के बाद सबसे बड़े दल कांग्रेस के पास यूपी में मात्र एक सीट रायबरेली की है।
वहीं 2019 के आम चुनाव में सपा को 5 सीटें मिली थी। इनमें से भी दो सीटें आजमगढ़ और रामपुर की सीट समाजवादी पार्टी उपचुनाव में खो चुकी है। इस तरह से वर्तमान में सपा के पास मैनपुरी, मुरादाबाद और संभल लोकसभा तीन सीटें ही हैं। रालोद और अन्य सहयोगी दलों में किसी के पास कोई सीट नहीं है। बीते विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिहाज से देखें तो सपा यहां भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी ताकत है, यही कारण है कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में विपक्ष की ओर से मोर्चा संभालते हुए दिख रहे हैं। घोसी उपचुनाव में जीत के बाद इस भूमिका में और इजाफा हुआ है।
सूत्रों के हवाले से आ रही जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस यूपी में 25-30 सीटें मांग रही है, पर बात 15-20 सीटों पर बन सकती है। आरएलडी को विधानसभा चुनाव में सपा से साझेदारी के तहत 33 सीटें दी गई थीं और इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में 4-5 सीटें दी जा सकती हैं। करीब 50 सीटों पर सपा लड़ेगी और 5-10 सीटें अन्य सहयोगी दलों को छोड़ी जा सकती हैं। अन्य सहयोगी दलों के लिए विशेष रणनीति के तहत पश्चिमी यूपी में चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी को भी एक सीट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है।
संभवतः ये सीट बिजनोर की हो सकती है, जहां गठबंधन के प्रत्याशी चंद्रशेखर आजाद हो सकते हैं। साथ ही कुर्मी मतदाताओं को लुभाने के लिए नीतीश कुमार को भी पूर्वांचल से लड़ाने के लिए गंभीरता से विचार चल रहा है। वहीं जौनपुर से धनंजय सिंह भी तैयारी कर रहे हैं। इस हिसाब से एक से दो सीटों की जेडीयू भी मांग कर सकती है।
तृणमूल कांग्रेस को भी एक सीट दिए जाने की चर्चा जोरों पर है। चंदौली की सीट को लेकर ऐसा कहा जा रहा है कि यह सीट टीएमसी को दी जा सकती है। जिसमें एक शर्त यह भी है कि यूपी में अगर टीएमसी को सीट दी जाएगी तो उसके बदले समजवादी पार्टी पश्चिम बंगाल में किरनमय नंदा के लिए एक सीट मांगेगी।ऐसे में जब सामाजवादी पार्टी के प्रभाव वाली सीटों में से अखिलेश यादव इन दलों को उत्तर प्रदेश में सीटें देंगे तो इसकी भरपाई भी वो देश के अन्य प्रदेशों से करेंगे जहां गठबंधन के अन्य दलों का प्रभाव है।
सूत्रों के हवाले से ऐसी जानकारी भी निकलकर सामने आ रही है कि अखिलेश यादव यूपी के अलावा 6 और राज्यों में भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन से यूपी के बाहर उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के लिए सीटें मांग सकते हैं।
जानकारी के अनुसार, विपक्ष के I.N.D.I.A. गठबंधन की ओर से सीटों पर प्रत्याशी की आधिकारिक घोषणा करने से पूर्व भाजपा के टिकट देने के समीकरणों को भी ध्यान में रखा जाएगा। यानी जातीय समीकरण को देखते हुए I.N.D.I.A. गठबंधन में आपस में सीटों की अदला बदली भी हो सकती है। 2019 में बीजेपी गठबंधन ने सपा और बसपा के महागठबंधन के बावजूद यूपी की 80 सीटों में से 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि सपा-बसपा महागठबंधन को 15 सीटें मिली थीं।
इसमें 10 सीटें बसपा और 5 सीटें सपा के खाते में गई थी। 2014 की मोदी लहर में कांग्रेस 2 और समाजवादी पार्टी 5 सीटों पर सिमट गई थी। वहीं आरएलडी 2014 और 2019 दोनों ही लोक सभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई।