India News (इंडिया न्यूज़), Anil Chaudhary, Rakshabandhan 2023: जहां एक तरफ देश भर में रक्षाबंधन के पावन त्यौहार को धूम धाम से मनाया जा रहा है वही दिल्ली से सटे गाजियाबाद के मुरादनगर में एक ऐसा गांव जहां रक्षाबंधन नहीं मनाई जाता। बल्कि उस दिन काला दिवस के रूप मनाया जाता है आपको बता दें कि क्यों नही मनाते यहां रक्षाबंधन।
गाजियाबाद से 30 किलोमीटर दूर स्थित मुरादनगर में एक गांव है सुराना। यहां 12वीं सदी से ही लोग रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते अगर मनाते हैं तो बड़ी अनहोनी हो जाती है जिसके डर से लोग रक्षाबंधन नहीं मानते वही इस गांव की लड़कियां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाती। गांव के लोग यदि कहीं दूसरी जगह भी जाकर बस जाते हैं तो वह भी रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं। गांव के लोग इस दिन को काला दिन के रूप मे मानते हैं।
सुराना गांव के लोगों के मुताबिक गांव में एक ऐतिहासिक घटना की बदौलत रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता है।यह घटना करीबन 11वीं सदी में हुई थी, जब राजस्थान से आए पृथ्वीराज चौहान के वंशज सोन सिंह राणा ने इस गांव में अपना डेरा डाला था। मोहम्मद गौरी ने उनके इस कदम का पता लगाया और रक्षाबंधन के दिन उनके डेरे पर हमला कर दिया। इस हमले में गांव की औरतें, बुजुर्गों, जवानों को हाथियों के पैरों तले जिंदा कुचल दिया गया था
उसी दिन से यहां रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता बताया यह भी जाता है सुराना गांव पहले सोनगढ़ के नाम से जाना जाता था वही एक गांव में टीला है जहां हाथियों के पैरों तले लोगों को कुचलवा दिया था मोहम्मद गोरी ने। जब लोगों से हमने इस विषय में बात की तो लोगों ने इस घटना को सत्य बताया !
फिलहाल 12वीं सदी से अब तक सुराना गांव मे रक्षाबंधन नहीं मनाया जा रहा और वही लोगों का कहना अगर कोई रक्षाबंधन मनाता है तो उसके साथ अनहोनी घटना घट जाती है रक्षाबंधन के दिन यहां भाइयों की कलाइयां सुनी रहती हैं और पूरा गांव रक्षाबंधन के दिन काला दिवस के रूप मे मनाता है।
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