India News UP (इंडिया न्यूज़),Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 5 अप्रैल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन घोषित किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट के इस संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टीस के अलावा न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। कोर्ट ने कहा, ” इलाहाबाद उच्च न्यायालय का प्रथम दृष्टया यह कहना सही नहीं है कि मदरसा बोर्ड की स्थापना से धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा।”
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 22 मार्च को राज्य सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को नियमित स्कूलों में समायोजित करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा था कि राज्य के पास “धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने या केवल किसी विशेष धर्म और उससे जुड़े दर्शन के लिए स्कूली शिक्षा के लिए बोर्ड स्थापित करने की कोई शक्ति नहीं है।”
अदालत ने आगे कहा, “हम मानते हैं कि मदरसा अधिनियम, 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है।” यह अधिनियम 2004 में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाया गया था।
राज्य मदरसा बोर्ड के अनुसार, इस आदेश से वर्तमान में पूरे यूपी में 16,500 मान्यता प्राप्त और 8,500 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों या इस्लामिक मदरसों में नामांकित लगभग 200,000 छात्रों के जीवन पर असर पड़ेगा।
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