Sunday, May 19, 2024
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गोवर्धन पूजा पर क्यों लागया जाता है 56 भोग, जानें क्या है महत्व

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India News(इंडिया न्यूज़), Govardhan puja: हिंदू धर्म में सभी पर्वों का बेहद ही महत्व होता है। इसी में से एक गोवर्धन पूजा भी है जिसका बेहद ही महत्व है। इस दिन की जाने वाली पूजा भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होती है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन परिक्रमा करने की मान्यता है। इस दिन भगवान गोवर्धन को 56 भोग लगाने की भी परंपरा है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, श्रीकृष्ण के अलावा गाय माता की भी पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन कई स्थानों पर अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

56 भोग लगाने की परंपरा

भगवान कृष्ण को 56 तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा बहुत पुरानी है और काफी लंबे समय से चली आ रही है। आइए जानते हैं 56 भोगों में क्या होता है। मान्यता है कि छप्पन भोग के बिना गोवर्धन पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। आपको बता दें कि इस बार गोवर्धन पूजा को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि पंचांग के अनुसार गोवर्धन पूजा का त्योहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा।

क्यों लगाया जाता है 56 भोग

ऐसा कहा जाता है कि इंद्र के प्रकोप से गोकुल के लोगों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगलियों पर पकड़कर खड़े रहे थे। इस दौरान गोकुलवासी प्रतिदिन श्रीकृष्ण को 8 पकवानों का भोग लगाते थे। गणित के अनुसार यदि 7 दिनों को 8 व्यंजनों से गुणा किया जाए तो कुल संख्या 56 आती है।

56 भोग में शामिल चीजें

भक्त (चावल), सूप (दाल), प्रलेह (चटनी), सादिका (करी), दधिशकजा (दही सब्जी करी), सिखरिणी (सिखरन), अवलेह (शरबत), बाल्का (बाटी), इक्षु खेरिनी (मुरब्बा), त्रिकोण। (चीनी युक्त), बटक (बड़ा), मधु शीर्षक (मथरी), फेनिका (फेनी), परिष्टश्च (पुरी), शतपत्र (खजला), सधिद्रक (घेवर), चक्रम (मालपुआ), चिल्डिका (चोला), सुधाकुंडलिका (जलेबी), कुपिका (रबड़ी), पर्पट (पापड़), शक्तिका , लसिका (लस्सी), सुवत, संघय (मोहन), सुफला (सुपारी), सीता (इलायची), फल, ताम्बूल

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Ritesh Mishra
Ritesh Mishra
रितेश मिश्रा ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत ITV(India News)से की है। ये इंडिया न्यूज़ के साथ पिछले 11 महीने से जुड़े हुए हैं।
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