Sunday, July 7, 2024
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Agra News: शिक्षकों की जिज्ञासा ने, बाह के बीहड़ में बने प्राथमिक विद्यालय की बदली तस्वीर…

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India News (इंडिया न्यूज़), Rinki Upadhyay, Agra News:  बाह के बीहड़ में बने प्राथमिक विद्यालय सहाब राय का पुरा में शिक्षकों की जिज्ञासा ने स्कूल की तस्वीर बदल दी है। पढ़ाई के नायाब तरीकों से बच्चों को शिक्षा की कड़ी से जोड़ा है। खेल विधि, करके सीखना, खोज करके सीखना और अभ्यास के माध्यम से सीखने का तरीका बच्चों को पढ़ाई में अव्वल कर रहा है। पांच साल में स्कूल की दिशा और दशा दोनों बदली हैं।

शिक्षकों ने बदली स्कूल की तस्वीर

बाह के बीहड़ में बने प्राथमिक विद्यालय सहाब राय का पुरा में शिक्षकों की जिज्ञासा ने स्कूल की तस्वीर बदल दी है। शत प्रतिशत बच्चों पर ड्रेस और किताबें हैं। कक्षा दो और तीन के बच्चे हिंदी और अंग्रेजी के शब्द बोलते हैं। चार और पांचवीं के विद्यार्थी फर्राटे से हिंन्दी-अंग्रेजी की किताब पढ़ते हैं। सामान्य ज्ञान भी काबिले तारीफ है। जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर की दूर सहाब राय का पुरा विद्यालय में उमेश कुमार चौहान इंचार्ज प्रधानाध्यापक, मनीष कुशवाहा सहायक अध्यापक और सविता चौहान शिक्षामित्र तैनात हैं।

बिल्डिंग की हालात जर्जर अवस्था में

शिक्षकों ने बताया कि आठ सितंबर-2018 को जब वे पहली बार विद्यालय पहुंचे तो हालात बहुत खराब थे। नलकूप खराब था। परिसर में चारों ओर गंदगी थी। शराब की कैन लुढ़क रही थीं। बिल्डिंग भी देखरेख के अभाव में जर्जर अवस्था में थी। शौचालय में पॉट तक नहीं लगे थे। ग्रामीणों की चारपाई इधर-उधर पड़ी हुई थीं। 94 बच्चे पंजीकृत थे, जिनमें से 10 से 15 विद्यार्थी उपस्थित रहते थे। ये देख वे हैरान रह गए। उन्होंने स्कूल की तस्वीर बदलने की ठान ली। अगले ही दिन से ग्रामीण, ग्राम प्रधान और एआरपी का सहयोग लेना शुरू कर दिया।

तीनों शिक्षकों ने खर्च की निजी धनराशि

निजी धनराशि भी तीनों शिक्षकों ने खर्च की। परिसर में पौधरोपण हुआ। पीने के पानी की सुव्यवस्थित इंतजाम किए। जर्जर बिल्डिंग का रखरखाव किया। मॉडल शौचालय बनवाया। कक्षाएं मॉडल कीं। पांच साल में पूरा परिसर हरियाली और खुशबूदार फूलों से महकने लगा है।बच्चों को स्कूल तक आने के लिए ग्रामीणों से जनसंपर्क किया। घर-घर जाकर अभिभावकों से मिले। बच्चों को खेल विधि से पढ़ाना शुरू किया। मिड-डे मील की गुणवत्ता में सुधार किया।

रसोइया ऊषा देवी व रामवती देवी ने भरपूर सहयोग किया। बच्चों को पौष्टिक आहार मिलने लगा। शिक्षकों ने कक्षाओं में करके सीखना, खोजकर सीखने पर जोर दिया। इससे बच्चों की रुचि जाग्रत होने लगी। फिर, भाषा पर विशेष ध्यान दिया। उन्हें अध्यात्म के जरिये से पढ़ाना शुरू किया। अपने लैपटॉप ले जाकर बच्चों को आधुनिक शिक्षा से भी जोड़ा है। नित्य व्यायाम और पीटी के साथ राष्ट्रीय व संस्कृति के मूल्य सिखाए जा रहे हैं।

वर्जन
पिछले वर्ष भी हमने स्कूलों में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया था। ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी है, जो लीक से हटकर विद्यालय और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। तीनों को शुभकामनाएं। इनके कार्य को सराहा जाएगा।

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