Thursday, July 4, 2024
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Agra: गिरफतार हुआ 50 हजार का इनामी शार्प शूटर, गिरफ्तारी के लिए STF जवान को होना पड़ा गंजा

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India News(इंडिया न्यूज), Agra: शार्प शूटर लॉरेंस यूसुफ की गिरफ्तारी के लिए कई दिन से एसटीएफ ने जाल बिछा रखा था। तेजतर्रार एक सिपाही ने अपना सिर मुंडवा लिया था, जबकि दूसरा राहगीर बनकर घूम रहा था। भरतपुर और हाथरस में भी वह पहुंचे थे। तब लॉरेंस यूसुफ के बारे में जानकारी मिली।हाथरस का कुख्यात राजेश शर्मा उर्फ टोंटा मथुरा जेल में गैंगवार के बाद मारा गया था। मगर, उसके गुर्गे अब भी सक्रिय हैं। विजय नगर के बिल्डर से गैंग के शार्प शूटर लॉरेंस यूसुफ उर्फ बॉस ने रंगदारी मांगी थी। जमीन नाम करने का दबाव भी बनाया था। थाना हरीपर्वत में मुकदमा दर्ज हुआ। 50 हजार का इनाम घोषित किया गया। शुक्रवार को एसटीएफ ने उसे ट्रक चलाते हुए भरतपुर से पकड़ लिया।

धमकाते और जान से मारने कि देते धमकी

नई विजय नगर कालोनी निवासी संजीव रावत बिल्डर व इंटीरियर डिजायनर हैं। उन्होंने सितंबर में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस को बताया कि वह मूलरूप से सासनी गेट हाथरस के रहने वाले हैं। भाई अशोक रावत वहीं रहते हैं। भाई ने वर्ष 2020 में चावड़ गेट स्थित भूमि का पट्टा कराया था। लॉरेंस यूसुफ वर्ष 2022 में केंद्रीय कारागार से रिहा हुआ। उसने भाई को धमकाते हुए कहा कि जमीन राजेश टोंटा की पत्नी कनक शर्मा और बेटे राज की है। जमीन नहीं छोड़ऩे के एवज में 25 लाख रुपये और हिस्सेेदारी मांगी। रकम नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी।

50 हजार का इनाम बदमास

उन्होंने हाथरस में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने लॉरेंस यूसुफ और राज को मादक पदार्थ के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा। यूसुफ ने जेल में बिल्डर की हत्या की योजना बनाई। धमकी भरा फोन कराया। इस पर थाना हरीपर्वत में मुकदमा दर्ज हुआ। उस पर 50 हजार का इनाम घोषित किया गया। एसटीएफ के मुताबिक, लॉरेंस यूसुफ गांधी नगर, उद्योग नगर, भरतपुर का रहने वाला है। उसे भरतपुर के कुम्हेर गेट चौराहा के पास से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से एक आधार कार्ड, लाइसेंस, 100 रुपये आदि बरामद किए। निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि आरोपी से पूछताछ की गई। उसने कई अहम जानकारी दी हैं।

आरोपी पर कई मुकदमे

लॉरेंस यूसुफ पर आगरा, हाथरस और मथुरा में छह मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या के मुकदमे भी हैं। एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह वर्ष 2000 में राजेश के गैंग में आया था। उसे हर महीने राजेश 20-25 हजार रुपये देता था। मगर, राजेश की हत्या के बाद पैसा मिलना बंद हो गया। उसने ट्रक खरीद लिए। एक ट्रक खुद तो दूसरा किसी और से चलवा रहा था।
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