India News UP (इंडिया न्यूज़),UP News: 12 साल पहले के एक मामले में नायब तहसीलदार के खिलाफ गैर ज़मानती वारंट जारी किया है। अदालत ने इससे पहले कई बार उन्हें आदेश दिया था कोर्ट में पेश होने का, लेकिन कोर्ट में ना पेश होने के कारण। अदलात को एक सख्त रूप लेना पड़ा।
उत्तरप्रदेश के गाजीपुर में ये मामला सामने आया है जहा एक 12 साल पहले के केस में गैर जमानती वारंट जारी किया गया। उनके गैर जिम्मेदाराना हरकत को देखते हुए, अदालत ने पुलिस को आदेश दिया है की उन्हें कस्टडी में लेकर अदालत में पेश करें। दरअसल 12 साल पहले गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र राजेदपुर के निवासी रामचंद्र राम ने पंजाब नेशनल बैंक से लोन लिया था। पैसो के वसूली के लिए 1 जून 2012 को नायब तहसीलदार सुशील कुमार दुबे, अमीन लाल मोहन यादव और तहसील का चपरासी सूबेदार यादव रामचंद्र राम के घर पहुँचे थे।
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आरोप यह है की लोन के पैसे जमा न होने पर दोनों पक्षों में इस बात कोलेकर विवाद हो गया। अधिकारी के साथ जो लोग गए थे उनके साथ भी कहासुनी हुई। इस विवाद में रामचंद्र राम के साथ मारपीट भी हुई साथ ही जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया। इस मामले में पीड़ित रामचंद्र राम ने अगले दिन ही 2 जून 2012 को गाजीपुर कोतवाली में SC-ST एक्ट में शिकायत दर्ज कराई।
कोर्ट में चले केस में तीनों आरोपियों को 16 अक्टूबर, 2020 जेल में भेजा गया था। चपरासी सूबेदार यादव और अमीन लालमोहन यादव ने कोर्ट में पेश होकर अपनी जमानत करा ली पर नायब तहसीलदार कोर्ट में पेश नहीं हुए। उन्हें कई मौके दिए गए थे। पर उन्होंने ज़रूरत नहीं समझी सरकारी पद पर होने के बावजूद। इसको लेकर सख्त रुख अपनाते हुए विशेष न्यायाधीश SC-ST एक्ट शक्ति सिंह की कोर्ट ने नायब तहसीलदार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है और कोतवाली पुलिस
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