(Today is the seventh day of Chaitra Navratri) नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान होता है। मां कालरात्रि की पूजन करने से अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है, साथ ही उनके आशीर्वाद से भक्त हमेशा निडर जीवन जीता है।
खबर में खास:-
- सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती
- मां का स्वरूप
- कौन हैं मां कालरात्रि?
- मां कालरात्रि की पूजा विधि
- इन मंत्रो का करें उच्चारण
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है। हिंदू मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि का रूप बेहद डरावना है, उनके आशीर्वाद से भक्त हमेशा निडर जीवन जीता है। कहा जाता है कालों की काल मां कालरात्रि ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का संहार करने के लिए अवतार लिया था। इस वजह से मां कालरात्रि की उपासना तंत्र साधना के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। तो आइए जानते हैं की मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, भोग और शुभ रंग के बारे में।
मां का स्वरूप
पुराणों के अनुसार देवी दुर्गा के शरीर का रंग घने अन्धकार की तरह एकदम काला है और उनके सिर के बाल बिखरे हुए हैं। मां के गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है जो इनके तीन नेत्र हैं। इनसे विद्युत के सामान चमकीली किरणें प्रवाहित होती रहती हैं। मां के नासिका के श्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती हैं तथा वाहन गर्दभ है। देवी कालरात्रि के ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा से सभी को वर प्रदान होता हैं और दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। इसी के साथ बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खडग धारण किए हुए हैं। कहा जाता है माँ कालरात्रि का स्वरुप देखने में बहुत भयानक है,लेकिन मां कालरात्रि सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। जिस वजह से इनका नाम शुभंकरी भी है।
कौन हैं मां कालरात्रि?
मां कालरात्रि देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं, मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण की तरह है। इनके काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा जाने लगा। चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें। काल का नाश करने वाली मां कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि(निशिता काल मुहूर्त) में शुभफलदायी मानी जाती है। उसके बाद कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत,फल,पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए। और मां कालरात्रि को कुमकुम का तिलक करें। देवी को लाल पुष्प बेहद प्रिय है इसलिए हमेशा याद रखें पूजन में गुड़हल अथवा गुलाब का पुष्प अर्पित करें। इससे माता अति प्रसन्न होती हैं। मां काली के ध्यान मंत्र का उच्चारण करें, माता को गुड़ का भोग लगाएं तथा ब्राह्मण को गुड़ दान करना चाहिए।
इन मंत्रो का करें उच्चारण
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥