India News (इंडिया न्यूज़),Darul Uloom Deoband: दारुल उलूम देवबंद द्वारा छात्रों के लिए इंग्लिश पढ़ने को लेकर जारी किए गए फरमान ने देश के अंदर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां दारुल उलूम देवबंद द्वारा मदरसे में पढ़ने वाले करीब पांच हजार छात्रों को लिखित में फरमान जारी करते हुए दिशा निर्देश दिए हैं कि पहले वह आलिम बने उसके बाद डॉक्टर और इंजीनियर।
जो समय की मांग वो सीखना जरूरी-मुफ्ती अरशद फारुकी
दारुल उलूम देवबंद द्वारा ऐसे छात्रों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है जो मदरसे में पढ़ाई के दौरान अंग्रेजी की पढ़ाई पढ़ते हैं तो ऐसे छात्रों का निष्कासन होगा साथ ही अनुपस्थित रहने वाले छात्र पर भी सख्त कार्रवाई होगी। अब सवाल यह उठता है क्या देवबंद दारुल उलूम मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को इंग्लिश हिंदी में गणित जैसी पढ़ाई से दूर करना चाहता है या अपना एजेंडा चलाकर ऐसे छात्रों को देश की मुख्यधारा से जुड़ने से रोका जा रहा है। बात करें देवबंद के मुफ्ती अरशद फारुकी की तो उनका कहना है कि इल्म और जुबान जो मुफीद हो इंसानियत के लिए उसको हासिल करना समय की जरूरत है। कुदरत का करिश्मा है जुबान, जरूरत और हालात के मुताबिक जुबान का सीखना जरूरी है।
दारुल उलूम ने अंग्रेजी की पढ़ाई को लेकर दिया नया फरमान
दरअसल दारुल उलूम ने नया फरमान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अगर किसी छात्र ने अंग्रेजी पढ़ी तो उसके खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की जाएगी। दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने छात्रों के लिए ये नया फरमान जारी करते हुए कहा कि दारुल उलूम में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान छात्रों को दीगर किसी तालीम जैसे इंगलिश वगैरह की इजाजत नहीं होगी।