Sunday, July 7, 2024
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Extreme Heat in India: जानिए क्या है अल नीनो और ला नीनो, जिसकी वजह से भारत में पड़ रही है मार्च के महीने में ही पड़ रही है भयंकर गर्मी

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Extreme Heat in India: मौसम विभाग की मानें तो इस साल का फरवरी महीना, 122 सालों बाद सबसे गर्म महीना रहा है। वहीं अप्रैल- मई के महीने में भीषण गर्मी पड़ने वाली है। इस रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा बल्कि देश के कई हिस्सों में सूखे का सामना भी करना पड़ सकता है। हाल ही में इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज स्टडीज के डायरेक्टर डीएस पई ने आने वाले गर्मी को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि, “अल नीनो मौसमी घटना के कारण इस साल मानसून की बारिश काफी कम रहने की संभावना है।”

खबर में खास:

  • अल नीनो और ला नीनो भला है क्या चीज?
  • अल नीनो किसे कहते हैं?
  • अल नीनो का मौसम पर क्या पड़ता है असर
  • इसका तापमान पर क्या होता है असर
  • ला नीना क्या है?
  • ला नीना का मौसम पर क्या पड़ता है प्रभाव

अल नीनो और ला नीनो भला है क्या चीज?

जब भी हम मौसम से जुड़ी खबरों की बात करते हैंतो अक्सर उसमें अल नीनो और ला नीना का जिक्र जरूर सुनते हैं या पढ़ते हैं। अब ऐसे में सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर ये अल नीनो और ला नीनो है भला क्या चीज है? और इन दोनों के होने से भारत के मौसम पर किस हद तक असर पड़ता है? आज हम इस लेख में इसी सवाल का उत्तर ढूढ़ेंगे।अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टीट्यूट के अनुसार इन दोनों टर्म का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में होने वाले बदलावों से है, इस तापमान का असर पूरी दुनिया के मौसम पर पड़ता है। एक तरफ अल नीनो है जिसके कारण तापमान गर्म होता है तो वहीं ला नीना के कारण तापमान ठंडा।

अल नीनो किसे कहते हैं?

ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं।  इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। ये तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है।

अल नीनो का मौसम पर क्या पड़ता है असर

अल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा है। यह मौसम पर बहुत गहरा असर डालता है। इसके आने से दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव दिखता है और बारिश, ठंड, गर्मी सबमें अंतर दिखाई देता है। राहत की बात ये है कि ये दोनों ही हालात हर साल नहीं, बल्कि 3 से 7 साल में दिखते हैं। अल नीनो के दौरान, मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है। पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है।

इसका तापमान पर क्या होता है असर

समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने से समुद्री जीव-जंतुओं पर इसका बुरा असर पड़ता है। मछलियां और दूसरे पानी में रहने वाले जीव औसत आयु पूरी करने से पहले ही मरने लगते हैं। इसके असर से बारिश होने वाले क्षेत्रों में बदलाव आते हैं, अर्थात कम बारिश वाली जगहों पर बारिश अधिक होती है। यदि अल नीनो दक्षिण अमेरिका की तरफ सक्रिय हो तो भारत में उस साल कम बारिश होती है।

ला नीना क्या है?

भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है। इसकी उत्पत्ति के अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे प्रचलित कारण ये तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं। इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है।

ला नीना का मौसम पर क्या पड़ता है प्रभाव

ला नीना का चक्रवात पर भी असर होता है। ये अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा को बदल सकती है। उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुत अधिक नमी वाली स्थिति उत्पन्न होती है। इससे इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में काफी बारिश हो सकती है। वहीं ईक्वाडोर और पेरू में सूखे जैसे हालात बन जाते हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ आने के आसार होते हैं। ला नीना से आमतौर पर उत्तर-पश्चिम में मौसम ठंडा और दक्षिण-पूर्व में मौसम गर्म होता है। भारत में इस दौरान भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी ठीक-ठाक होती है।

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Monu kumar
Monu kumar
मोनू कुमार ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत India Ahead News Channel (इससे पहले ये यूट्यूब पोर्टल Jantalk और mdvlogs का भी हिस्सा रहे हैं) से की। फिलहाल ये अभी हमारे ITV Network (India News) का हिस्सा हैं।
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