Holi Festival 2023: होली रंगों का त्योहार है। इस बार होली कैलेंडर के मुताबिक 8 मार्च को पड़ रही है। लेकिन जगह-जगह होली का खुमार भी से चढ़ने लगा है। यूपी में काशी और मथुरा की होली दुनियाभर में प्रख्यात है। तो वहीं, यूपी के बांदा जिले की अनोखी होली भी किसी से कम नहीं होती थी। यहां होली में जमकर हुड़दंग मचाया जाता था। इससे नाराज़ लोगों को खुश करने के लिए मुंह मांगी बख्शीश या फिर मुंह मांगा इनाम भी दिया जाता था। आज के इस लेख में हम आपको यहीं बताने वाले हैं।
खबर में खास:
- 5 दिन वाली होती थी ‘होली’, जमकर मचाते थे हुड़दंग
- बख्शीश के रूप में मजदूरों को मिलती थी ज़मीन
- धीरे-धीरे ये परंपरा ने ले लिया झगड़े का रूप
5 दिन वाली होती थी ‘होली’, जमकर मचाते थे हुड़दंग
बांदा में होली एक दिन या दो दिन नहीं बल्कि पूरे 5 दिन मनाई जाती थी। पहले दिन होलिका दहन होते ही हुड़दंग शुरू हो जाता था। इस दिन गांव के लंबरदार (काश्तकार) मरे मवेशियों की हड्डी, मल-मूत्र और गंदा पानी लेकर चोरी से अपने यहां मजदूरी करने वाले मजदूर के घर में फेंक आते थे। सुबह मजदूर अपने घर में गंदगी देखकर उसे समेट कर डलिया में भरकर उसी लंबरदार के घर में फेंक देते थे और उन्हें अपशब्द कहते थे।
बख्शीश के रूप में मजदूरों को मिलती थी ज़मीन
इसके बाद मजदूर अपने यहां की गंदगी को तभी साफ करते थे जब लंबरदार द्वारा उन्हें मुंह मांगी बख्शीश देते। इसी को होली का हुड़दंग कहा जाता है। लोगों ने के मुताबिक कई बार लंबरदार हुड़दंग की बख्शीश के रूप में कभी-कभी अपनी जमीन तक दान में दे देते थे। इसमें खास बात यह है कि यह जमीन उनसे कभी वापस नहीं मांगते थे। इस पर हमेशा मजदूर के परिवार का ही कब्जा बना रहता था।
धीरे-धीरे ये परंपरा ने ले लिया झगड़े का रूप
आज से पहले लोग इस गैर सामाजिक परंपरा को बुरा ना मानो होली है कहकर बुरा नहीं मानते थे। उसे टाल देते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा झगड़े के रूप में बदल गई। इससे लोगों ने इस परंपरा का विरोध करना शुरू कर दिया। इस विरोध के दौरान कई खतरनाक घटनाएं भी हो चुकी हैं।
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