Sunday, July 7, 2024
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Lathmar Holi 2023 : क्यों मशहूर है बरसाना की लट्ठमार होली, क्या है लठ से होली खेलने की ये अनोखी परंपरा

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(Why is Barsana’s Lathmar Holi famous, what is this unique tradition of playing Holi with sticks): होली का त्योहार पूरे देशभर में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। जहां इस साल भी 8 मार्च को होली  मनाने की तैयारी कर ली गई हैं। जैसे की आप सभी जानते है की होली पूरे देश में दो दिन का त्‍योहार है। लेकिन ब्रज में यह त्‍योहार 40 दिन तक चलता है और इसकी शुरुआत राधा की जन्मस्थली बरसाना से होती है। जहां इसके बाद ही देश में अलग-अलग जगहों पर होली खेली जाती है। वहीं हर जगहों पर अलग-अलग प्रकार से होली भी मानाई जाती हैं। एसे में बता दें की बरसाने की लट्ठमार होली (Lathmar Holi) दुनियाभर में बहुत मशहूर है। जहां रंगों की होली खेलने से पहले यहां की महिलाएं लठमार होली खेलती हैं। जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठी बरसाती हैं। जहां सब से दिलचस्‍प बात ये है कि लोग इस शरारत का बुरा भी नही मानते है और खुशी से इस रस्‍म का आनंद लेते हैं। जैसे की होली राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है। तो आइए जानते हैं कैसे हुई बरसाने में लट्ठमार होली की शुरुआत।

जानिए लठमार होली की कैसे हुई शुरुआत 

अपको बता दें की बरसाना की लट्ठमार होली भगवान कृष्ण के काल में उनके द्वारा की जाने वाली लीलाओं का एक हिस्‍सा है। जो की माना माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ कमर में फेंटा लगाए राधा रानी और उनकी सखियों के साथ होली खेलने बरसाने पहुंच जाया करते थे। जहा उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्‍हें सबक सिखाने के लिए राधा और उनकी सखियां उन पर डंडे बरसाती थीं। वही फिर  उनकी मार से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण और उनके मित्र लाठी और ढालों का उपयोग किया करते थे। जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गई हैं। बता दें कि इस मनमोहक दृश्य को देखने के लिए हजारों की संख्‍या में लोग यहां आते हैं।

क्यो पुरूषों को पहनने पड़ते हैं महिलाओं के कपड़े

दरअसल लट्ठमार होली की एक और अनोखी परंपरा भी है। जहां कहते हें कि लट्ठमार होली के दौरान जिस भी पुरूष के शरीर पर लठ छप जाता है, उस पुरूष को महिलाओं के कपड़े पहनने पड़ते हैं और सबके सामने नृत्य भी करना पड़ता है। वहीं यह उत्सव एक सप्‍ताह और उस से भी ज्‍यादा समय तक चलता है। जिसमें पुरुष नाचते हैं गाते हैं और होली के रंग में डूबते चले जाते हैं।

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