Monday, July 8, 2024
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Lucknow News : बिना बीएसपी विपक्ष एकता उत्तर प्रदेश में कितनी कारगर होगी, जानिए पूरा चुनावी समीकरण

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India News (इंडिया न्यूज़) लखनऊ न्यूज़ Martand Singh, लखनऊ : Lucknow News लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है।

ऐसे में गठबंधन के लिए भी दलों के बीच बातचीत और समीकरणों का दौर शुरू हो चुका है। कहीं तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट है तो कही किसी का साथ पाने की उत्सुकता।

अखिलेश यादव विपक्षी एकता में होंगे शामिल

लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में भी गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। 23 तारीख को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पटना में विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने पहुंचेंगे। हालांकि इस बैठक में बीएसपी को न्योता नही मिला है। अब सवाल यही है कि आखिर बिना बीएसपी के ये क्या विपक्षी एकता उत्तर प्रदेश में कितना कारगर साबित होगा?

विपक्षी एकता कौन सी पार्टी शामिल

दरअसल, आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए प्रमुख विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने की कवायद की जा रही है। 23 जून को पटना में विपक्षी एकजुटता के लिए बड़ी बैठक होने जा रही है। जिसमें सपा से लेकर कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी सहित करीब 16 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल होंगे।

लेकिन इस बैठक में बीएसपी को नही बुलाया गया है। विपक्षी एकता के लिए ममता बनर्जी से लेकर केसीआर और नीतीश कुमार ने मुहिम छेड़ रखी है, लेकिन किसी भी नेता ने मायावती से औपचारिक और अनौपचारिक किसी भी रूप में संपर्क नहीं किया।

विपक्षी एकता बैठक में नहीं है मायावती को न्यौता

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पटना में 23 जून को विपक्षी एकता बैठक बुलाई है। इसमें बसपा को न्यौता नहीं दिया गया है। बैठक के सिलसिले में नीतीश कुमार लखनऊ आए थे।

वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव से तो मिले पर उन्होंने मायावती से मुलाकात नहीं की थी। अब पटना में हो रही बैठक पर सभी की निगाहें हैं और बसपाई खेमे में इसको लेकर हलचल भी है।

माना जा रहा है कि 21 जून को बुलाई गई बैठक इसी का नतीजा है। हालांकि समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन का कहना है कि एनडीए को हराने के लिए जो भी दल साथ मे आएंगे उनसे गठबंधन के रास्ते खुले हैं, चाहे वो बीएसपी हो या कोई पार्टी है।

बीएसपी का है अपना मजबूत वोट बैंक

सवाल ये है कि बिना बीएसपी के क्या उत्तर प्रदेश में ये विपक्षी एकता कारगर होगी। क्योंकि राजनीतिक गलियारे में कहावत है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। देश का सबसे बड़ा सूबा है उत्तर प्रदेश, लोकसभा की 80 सीटें यहां से आती हैं।

दरअसल, काफी कमजोर होने के बाद भी बसपा का अपना वोटबैंक है, जिसके आंकड़े खुद गवाह हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब वह शून्य पर आ गई थी, तब भी उसे 19.77 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

चुनाव में 5 सीटों पर सपा को जीत मिली थी। 19.43 प्रतिशत वोटों के सहारे उसके 10 प्रत्याशी जीतकर संसद पहुंचे। वहीं, सपा सिर्फ पांच सीटें जीत सकी थी.हालांकि इस गठबंधन में आरएलडी भी थी।

कांग्रेस से बढ़ रही बीएसपी की नजदीकियां

इंडिया न्यूज़ संवाददाता मार्तण्ड सिंह की खबर के मुताबिक बता दे, अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने बीजेपी पर सीधा हमला बोल हैं। जबकि इससे पहले तक कांग्रेस और बीजेपी को एक कठघरे में खड़ी करती रही हैं। अब वो कांग्रेस पर सीधे हमला करने से बच रही हैं।

सूत्रों की अगर माने तो बसपा सुप्रीमो की तरफ से कांग्रेस को पहले तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में साझेदारी के विकल्प पर विचार करने को कहा गया है।

इसके बाद 2024 में उत्तर प्रदेश की 40-40 लोकसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने का संभावित फार्मूला भी बसपा की ओर से दिए जाने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि बसपा के प्रतिनिधि ने कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी से भेंट कर इसकी संभावनाएं टटोलने की कोशिश की है।

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