India News (इंडिया न्यूज), Prayagraj News: प्रयागराज का दधिकांदो मेला अपने आप में एक इतिहास है। दधिकांदो मेला की शुरुआत 1890 में तीर्थ पुरोहित राम कैलाश पाठक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विजय चंद्र, सुमित्रा देवी ने की।इसका मकसद था की आम जनता को आजादी की लड़ाई के प्रति प्रेरित करके उनके अंदर से अंग्रेजों का डर खत्म करना।
एक एतिहासिक मेला
उस समय मेले में मशाल व लालटेन की रोशनी में श्रीकृष्ण-बलदाऊ की सवारी निकाली जाती थी। तब भगवान हाथी पर सवार होकर नहीं, किसी भक्त के कंधे पर बैठकर निकलते थे। भक्त बारी-बारी से श्रीकृष्ण-बलदाऊ को अपने कंधे पर बैठाकर चलते थे। पीछे जयकारा लगाते हुए भक्तों की भीड़ होती थी।
बदला दधिकांदो मेले का स्वरूप
अब दधिकांदो मेले में राजसी वेशभूषा में सजे हाथी पर रखे चांदी के हौदे पर आसीन श्रीकृष्ण-बलदाऊ के दिव्य स्वरूप का दर्शन करने के लिए देश – विदेश से हजारों की भीड़ सड़कों पर जुटती है।