UP Politics: यूपी विधानसभा के बजट का आज छठा दिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Chief Minister Yogi Adityanath) ने शनिवार को विधानसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। इसी बीच अपने संबोधन में उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस(Ramcharitmanas) को लेकर चल रहे विवाद पर सीएम योगी ने अपने संबोधन में कहा कि मानस की प्रतियां जलाकर सपा ने दुनिया भर के 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित किया है। उन्होंने कविताओं के जरिए सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें अपने आपको हिंदू कहने में शर्म आती है। सीएम योगी ने सपा पर एक के बाद कई तीखे हमले किए। सीएम योगी ने कहा कि उन्होंने मानस विवाद को जानबूझकर उसी समय उठाया जब प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी चल रही थी। अपने इस संबोधन के दौरान योगी ने रामचरित मानस की विवादित पंक्ति का अर्थ भी सदन को बताया।
खबर में खास:
- इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी के बीच रामचरितमानस मुद्दे से माहौल बनाने का किया गया प्रयास
- मानस की प्रति जलाकर दुनिया भर के 100 करोड़ हिंदुओं को किया गया अपमानित
इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी के बीच रामचरितमानस मुद्दे से माहौल बनाने का किया गया प्रयास
योगी ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में जैसे ही इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी शुरू हुई। ठीक उसी समय जानबूझकर कुछ बेवजह के मुद्दे उठाए गए। उन्होंने कहा कि सपा ने प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ मानस और तुलसीदास (Tulsidas)को लेकर अपने पक्ष में एक माहौल बनाने का प्रयास किया। सीएम ने कहा कि तुलसीदास ने जिस कालखंड में मानस लिखी थी। उन जैसा साधक और संत को सत्ता का बुलावा आया था। तुलसीदास ने अपने चौपाइयों में कहा था हम चाकर रघुबीर के… तुलसी का होइगै, होके मनसबदार। हमारे तो एक ही राजा हैं और वो राम हैं। योगी ने कहा कि आज भी जो रामलीलाओं का प्रचलन होता है वो भी तुलसीदास की ही देन है। जिसके जरिए उन्होंने समाज को एकजुट किया था।
मानस की प्रति जलाकर दुनिया भर के 100 करोड़ हिंदुओं को किया गया अपमानित
सीएम ने अपने संबोधन ने में आगे कहते हुए कहा कि मैं सपा के लिए कहना चाहता हूं। आखिर जिस पर गर्व होना चाहिए कि यह राम की धरती है। गंगा की धरती है। जिस धरती पर रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथ रचे गए। वहां मानस जलाकर दुनिया भर के 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित करने की कोशिश की जा रही है। इस अराजकता को कैसे स्वीकार कर सकते हैं? तुलसीदास की चौपाई है कि जाको प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताकि मति पहिले हर लीन्हा तो बुद्धि तो इन्हें विरासत में नहीं मिली। जो थोड़ी बहुत बुद्दि बची हुई थी वो भी अब नहीं रही।