UP Politics: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रायपुर (Raipur) में कांग्रेस (Congress) का 85वां महाधिवेशन बीते सप्ताह हुआ था। जिसमें कांग्रेस ने जातीय जनगणना (Caste Census) और प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी थी। जिसपर अब बीएसपी (BSP) मुखिया और पूर्व सीएम मायावती (Mayawati) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
खबर में खास:
- कांग्रेस पार्टी की रायपुर अधिवेशन में कही बातें हैं कही गई बातें छलावापूर्ण-मायावती
- कांग्रेस-जातिवादी पार्टियां सत्ता में रहते आदिवासियों को रखती हैं उच्च पदों से दूर
कांग्रेस पार्टी की रायपुर अधिवेशन में कही बातें हैं कही गई बातें छलावापूर्ण-मायावती
पूर्व सीएम ने ट्वीट करते हुए कहा “कांग्रेस पार्टी द्वारा रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा तथा घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उलटा ही करती है। बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावापूर्ण। बसपा चीफ ने कहा ‘साथ ही, प्रोन्नति में आरक्षण के चर्चित व महत्त्वपूर्ण मुद्दे को लेकर कांग्रेस व भाजपा द्वारा सपा को आगे करके सम्बंधित बिल को संसद में पारित नहीं होने देने के जातिवादी षडयंत्र को भला कौन भुला सकता है, जिसका अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम इन वर्गों को आजतक भुगतना पड़ रहा है।”
1. कांग्रेस पार्टी द्वारा रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा तथा घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उलटा ही करती है। बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावापूर्ण।
— Mayawati (@Mayawati) March 1, 2023
कांग्रेस-जातिवादी पार्टियां सत्ता में रहते आदिवासियों को रखती हैं उच्च पदों से दूर
मायावती ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा कि “इन्हीं बीएसपी-विरोधी पार्टियों के षडयंत्र का परिणाम है कि सरकारी नौकरी व शिक्षा में इन वर्गों का आरक्षण लगभग निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बन गया है तथा इनकी आरक्षित सीटें वर्षों से खाली हैं जबकि ईडब्लूएस का नया लागू कोटा सरकार मुस्तैदी से भरती है। अतः हर स्तर पर सावधानी जरूरी।” बीएसपी प्रमुख ने अंतिम ट्वीट में कहा कि “इतना ही नहीं कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियाँ सत्ता में रहते खासकर दलित व आदिवासी वर्ग को पार्टी संगठन में भी उच्च पदों से दरकिनार रखती हैं अर्थात अच्छे वक्त में अन्य वर्गों को ही पूरा महत्त्व तथा सत्ता से बाहर होने पर बुरे वक्त में इनकी याद एवं उनके वोट के लिए घड़ियाली आंसू।”