India News (इंडिया न्यूज़) UAE Hindu Temple: दुनिया के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि संयुक्त अरब अमीरात (मुस्लिम देश) में किसी मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस मंदिर का उद्धघाटन कल यानी 14 फरवरी को किया जायेगा। इस मंदिर का उद्धघाटन पीएम मोदी करेंगे। इसके लिए पीएम मोदी आज UAE रवाना हो गए है। इस कल में संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच स्थायी दोस्ती का प्रमाण यह पहला हिंदू मंदिर बन गया है।
इस मंदिर की क्या है खासियत
कुल 27 एकड़ जमीन मिली
इस मंदिर की परिकल्पना स्वामी महाराज ने 5 अप्रैल 1997 को की थी। यह जमीन 10 फरवरी 2018 को अबू धाबी के क्राउन प्रिंस महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान द्वारा उपहार में दी गई थी। यूएई सरकार को कुल 27 एकड़ जमीन मिली है। इस मंदिर के लिए। 14 फरवरी 2024 को महंत स्वामी महाराज की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे।
इस मंदिर में सद्भावना के गुंबद भी बने हुए हैं। ये प्रकृति के पांच मुख्य तत्वों (अग्नि, जल, वायु, भूमि और आकाश) का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा हमारे देश के उत्तर, पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और मध्य भारत के हिंदू देवता आध्यात्मिकता के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
भारतीय संस्कृति के पारंपरिक फूल और फल शामिल
इस मंदिर की दीवारों पर पारंपरिक भारतीय जानवरों सहित देवी-देवताओं, ऋषियों, वनस्पतियों और जीवों की हजारों आकृतियाँ उकेरी गई हैं। भारतीय जानवरों में गाय, हाथी, मोर आदि के साथ-साथ पारंपरिक अरबी जानवर जैसे ऊँट, ऑरिक्स (रेगिस्तानी बकरी), बाज़ आदि शामिल हैं। इसमें कमल और आम जैसे भारतीय संस्कृति के पारंपरिक फूल और फल भी शामिल हैं। इसके अलावा, अरब संस्कृति से ट्रिबुलस ओमानेंस और खजूर के उदाहरण भी हैं।
इस मंदिर की 7 चोटियाँ संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके अलावा इसमें 12 समरन यानी पिरामिड जैसी चोटियां बनी हुई हैं। इस मंदिर के दोनों गुंबदों का नाम शांति रखा गया है। ये दोनों गुंबद मंदिर के मध्य में स्थित हैं।
7 तीव्रता के भूकंप को झेलने की है क्षमता
इस हिंदू मंदिर की ‘सद्भाव की दीवार’ संयुक्त अरब अमीरात में दाऊदी बोहरा समुदाय द्वारा प्रायोजित है। इस दीवार पर प्राचीन और आधुनिक भाषाओं में 3डी में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ लिखा हुआ है। यह मंदिर प्राचीन वास्तुशिल्प तकनीकों के साथ आधुनिक तकनीक के संयोजन का एक सफल उदाहरण है।
इस मंदिर में भारत की तीन पवित्र नदियों – गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का पवित्र जल समाहित है। शाम की आरती के लिए वाराणसी के घाटों पर अखाड़ा बनाया गया है। यह मंदिर रिएक्टर स्केल पर 7 तीव्रता के भूकंप को झेलने की क्षमता रखता है।
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